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जातिवाद से जूझता बिहार: क्या सॉफ्टवेयर इंजीनियर के सुझाव लाएंगे बदलाव?

नालंदा के एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर ने खोला सरकार और मीडिया की पोल

बिहार (पटना):- हाल ही में बिहार के नालंदा जिले से एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है। इस वीडियो में उन्होंने मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए बिहार में व्याप्त जातिवाद और बेरोजगारी जैसी समस्याओं पर खुलकर बात की है। उनकी बातों ने एक बार फिर यह बहस छेड़ दी है कि क्या जातिवाद बिहार के विकास में सबसे बड़ी बाधा है

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image by AI

जातिवाद: विकास के मार्ग में रोड़ा

इंजीनियर ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि बिहार में जातिवाद सबसे बड़ी समस्या है। उनका कहना है कि अगर यह खत्म हो जाए तो बिहार का विकास संभव है। उन्होंने नेताओं पर कटाक्ष करते हुए कहा कि वे सिर्फ़ वोट लेने के लिए आते हैं, लेकिन युवाओं की समस्याओं पर ध्यान नहीं देते। युवाओं का कहना है, “हम तुम्हारी जागीर नहीं हैं।” यह कथन बिहार के युवाओं के आक्रोश को दर्शाता है।

बेरोजगारी पर सवाल और समाधान

इंजीनियर ने बताया कि बिहार का हर नागरिक कमाने के लिए बाहर जाने को मजबूर है। इस समस्या पर कोई भी बात नहीं करता। जब उनसे पूछा गया कि “नौकरी कहां से लाओगे?”, तो उन्होंने इसका एक आसान समाधान भी सुझाया:

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  • हर साल देश में 16 से 18 लाख इंजीनियर बनते हैं।
  • डिग्री प्राप्त करने के लिए प्रत्येक इंजीनियर को एक प्रोजेक्ट बनाना होता है। दो इंजीनियर मिलकर एक प्रोजेक्ट पूरा करते हैं।
  • इस तरह हर साल 8 लाख प्रोजेक्ट बनते हैं।
  • अगर इन प्रोजेक्ट्स का सिर्फ 10% यानी 80,000 प्रोजेक्ट बिहार में बनाए जाएँ, तो आसानी से रोजगार पैदा किया जा सकता है।

मीडिया की रिपोर्टिंग पर सवाल

इंजीनियर ने मीडिया की कार्यशैली पर भी सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि मीडिया जनता से गलत सवाल पूछती है, जैसे कि “यह नेता सही है या वो नेता सही?” उनके अनुसार, सही सवाल यह होना चाहिए कि “यह नेता गलत है या वो नेता गलत?”

मनीष कश्यप से भी सवाल

उन्होंने सोशल मीडिया पर सक्रिय रहने वाले मनीष कश्यप जैसे लोगों से भी सवाल किया। उन्होंने कहा कि दूसरों से सवाल पूछने से पहले उन्हें अपने गांव की व्यवस्था पर ध्यान देना चाहिए और उसे सुधारना चाहिए।

स्वदेशी को बढ़ावा और प्रोडक्ट मेकिंग हब का सुझाव

इंजीनियर ने चीन के उत्पादों पर निर्भरता कम करने का सुझाव भी दिया। उन्होंने कहा कि अगर बिहार में एक प्रोडक्ट मेकिंग हब बनाया जाए, तो हम स्वदेशी उत्पादों को अपना सकते हैं। आज भारत में ट्रिमर, या कोई भी इलेक्ट्रिकल आइटम, चीन से आ रहा है। हम खुद इन उत्पादों को बनाकर आत्मनिर्भर बन सकते हैं।

निष्कर्ष:

इस सॉफ्टवेयर इंजीनियर की बातें दर्शाती हैं कि बिहार के युवा अब सिर्फ़ समस्याओं पर बात नहीं कर रहे, बल्कि उनके ठोस समाधान भी सुझा रहे हैं। उनका यह वीडियो एक वेक-अप कॉल की तरह है, जो सरकार, मीडिया और आम जनता, तीनों को सोचने पर मजबूर करता है।

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